आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित कर रही है भाजपा

Frontline News Desk
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आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित कर रही है भाजपा

 

 

 

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रांची : राज्य के आदिवासी समाज ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया है। जिससे तिलमिलाई भाजपा राजनीतिक प्रपंच कर झारखण्ड के आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित करने के प्रयास में लगी हुई है। ये बातें
कांग्रेस प्रवक्ता सतीश पॉल मुंजनी ने प्रेस बयान जारी कर कहा। उन्होंने कहा कि झारखंड गठन के बाद से सबसे ज्यादा कालखण्ड तक राज्य में भाजपा ही सत्ता में रही है। आदिवासियों आज बदहाल हालत में है, जिसके जवाब केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा जी को देना चाहिए। क्योंकि वो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे हैं।लेकिन झारखण्ड के आदिवासी अब भाजपा के झांसे में आनेवाले नहीं है। सतीश पॉल ने कहा कि काठ की हांडी बार बार नही चढ़ती। जब सत्ता में रहते हैं तो इन्हें आदिवासी समाज की याद नहीं आती। ये अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकार से भी छेड़छाड़ करने से बाज नहीं आते।

 

 

 

भाजपा ने भूमि अधिग्रहण कानून से किया छेड़छाड़

भूमि अधिग्रहण कानून और संथाल परगना एक्ट को बदलने का प्रयास , भाजपा द्वारा वनाधिकार कानून की अनुपालना नहीं करवाना, एनवायरमेंट इम्पैक्ट असेसमेंट एवं सोशल इम्पैक्ट एसेसमेंट से ग्रामसभा को हटाने का निर्णय, बजटीय उपबंध में ट्राइबल सब प्लान के राशि को कम करना निहित्त राजनैतिक स्वार्थपूर्ति के लिए आदिवासी समाज को बांटने का प्रयास, जनजातीय समुदाय के लोगों के ऊपर झूठे मुकदमे दर्ज करने , लोकतांत्रिक अधिकार के तहत तत्कालीन भाजपा सरकार के गलत निर्णय का विरोध करनेवाले आदिवासियों के ऊपर लाठीचार्ज गोलियां चलवाना, आदिवासी छात्रों की छात्रवृत्ति तक पर रोक लगाने के इनके निर्णय को आजतक झारखण्ड के आदिवासी समाज ने भुलाया नही है। लंबे अंतराल से आदिवासी समाज के द्वारा सरना कोड की मांग को भी बीजेपी ने नजरअंदाज किया है।

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