राँची : रांची की महापौर आशा लकड़ा ने कहा कि कोविड 19 के नाम पर अस्पताल लोगो की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहीं हैं, राज्य में कोरोना जांच के नाम पर अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों के जीवन से चिकित्सक खिलवाड़ करते नजर आ रहें है। सड़क दुर्घटना में घायल हो या गर्भवती महिलाएं या फिर अन्य बीमारियों से ग्रसित मरीज, निजी व सरकारी अस्पतालों में भर्ती किए जाने से पहले उन्हें कोरोना जांच रिपोर्ट आने के बाद भर्ती किया जा रहा है। राज्य के विभिन्न निजी व सरकारी अस्पतालों में मरीजों के जीवन के साथ किए जा रहे खिलवाड़ पर रविवार को ये बातें मेयर आशा लकड़ा ने कही। उन्होंने कहा कि जिन मरीजों को तत्काल चिकित्सकीय सुविधा चाहिए, उन्हें भी कोरोना जांच के बाद ही अस्पतालों में भर्ती करने की बात कही जा रही है। ऐसी परिस्थिति में कई मरीज तत्काल चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से दम तोड़ रहे है। राज्य सरकार की टीम पूरी तरह से आइसोलेशन में हैं। राज्यU में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। कहा कि एक ओर राज्य सरकार ट्रू नेट मशीन से तत्काल कोरोना जांच का दावा कर रही है। वहीं दूसरी ओर रिम्स में क्रिटिकल मरीजों को तत्काल कोरोना जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। कोरोना जांच के लिए उन्हें घंटो इंतज़ार करना पड़ रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से अनुरोध किया है कि क्रिटिकल मरीजों को तत्काल निजी व सरकारी अस्पतालों में भर्ती करने का आदेश दिया जाए और संबंधित मरीजों को तत्काल उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए। कोरोना जांच के नाम पर क्रिटिकल मरीजों के जीवन से खिलवाड़ न किया जाए। उन्होंने बताया कि निजी व सरकारी अस्पतालों में समय पर चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से संबंधित कई शिकायतें उनके समक्ष आ रही हैं। कोरोना जांच के लिए संबंधित मरीज व उनके परिजन निजी व सरकारी अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। जिनके पास पहुंच-पैरवी है, उनका तत्काल कोरोना जांच कर उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जबकि आम मरीजों के जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। राज्य के एक-एक व्यक्ति को समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। राजधानी के कई मरीज समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं होने पर दम तोड़ चुके हैं। उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह करते हुए कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को तत्काल भर्ती किया जाए। कोरोना जांच रिपोर्ट के इंतज़ार में संबंधित मरीजों को उचित चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने में विलंब न कि जाए। निजी व सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक और स्वास्थ्य कर्मी अपना धर्म निभाएं। मेयर ने राज्य सरकार से यह भी कहा कि कोरोना पॉजिटिव मरीज मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। हाल ही में रिम्स में भर्ती एक मरीज ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद रिम्स की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। लिहाजा रिम्स में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त की जाए, ताकि मानसिक तनाव से जूझ रहे कोरोना पॉजिटिव मरीजों की जान बचाई जा सके।