छापर में माफियाओं का है राज!छापर बालू घाट में 10 एकड़ जमीन पर अवैध बालू है डंप.
रोजाना 50 से 60 हाइवा निकलता है।
बुढ़मू : एक बार फिर अवैध बालू का खेल छापर बालू घाट से शुरू हो चुका है।रोजाना 50 से 60 हाइवा वाहनों में बालू ओवरलोड उठाव कर बेचा जा रहा है। जिसपर प्रशासन मौन धारण किये हुए है।बताते चले कि विवादों के घेरे में हमेशा रहता है छापर बालू घाट,जहाँ माफियाओं का चलता है राज, बालू का काला खेल दिन तो दिन रात के अंधेरे में भी बदस्तूर जारी रहता है।यह सारा खेल कई सफेदपोश के संरक्षण में चल रहा है। बालू माफियाओं द्वारा छापर देवनद दामोदर नदी तट के बालू घाट से रोजाना सैकड़ो टैक्टरों से अवैध बालू का उठाव कर आसपास के जंगलों में डंप कराया जाता है।और फिर हाइवा वाहनों के भर कर इसे राँची सहित अन्य क्षेत्रों में बेचा जाता है।इस खेल में दर्जनों छोटे बड़े माफिया सक्रिय है।अवैध बालू का भंडारन व उठाव के कारण झारखंड सरकार को रोजाना लाखो रुपए राजस्व की हानि हो रही है।परंतु इसपर रोक लगाने के बजाय कई सफेदपोशों की मदद से यह काला खेल बदस्तूर जारी है। सूत्रों की माने तो महीना 600,1000 ट्रैक्टर से व 10,000 एवं 20,000 हाइवा वाहन से कमीशन के रूप में अवैध वसूली किया जाता है और यह सारा पैसा सफेदपोशों को जाती है।यही नही छापर बालू घाट में भी अवैध वसूली का खेल चलता है प्रति ट्रैक्टर 300 व हाइवा वाहनों से 600 रुपये लिया जाता है। अब सवाल यह है कि आखिर यह पैसों की वसूली कौन करता है? और किसके माध्यम से जाता है? अगर इसकी उच्चस्तरीय जाँच होती है तो कई सफेदपोश इसके दायरे में आएँगे।अब देखना है कि सरकार इसकी जाँच कराती है या फिर यूं ही अवैध खनन व परिवहन चलता रहेगा। छापर देवनद दामोदर नदी तट के वन भूमि पर बालू माफियाओं द्वारा नदी से बालू का उठाव कर अवैध रूप से डंप किया जा रहा है बालू का अवैध उठाव का नजारा दामोदर नदी के चुरू गाढा से लेकर छापर 96 कालोनी व काली मंदिर मुख्य भाग तक देखने को मिलेगा। अवैध भंडारण व परिवहन के पीछे का काला सच क्या है? आखिर किसके इशारे पर चल रहा है अवैध बालू का गोरखधंधा? इसके लिए जिम्मेवार कौन है यह सारा प्रश्न लोगो के जेहन में जैसे कौंध सा रहा है? बालू घाटों की नीलामी नही हुई है। वावजूद बालू घाटों से लगातार बालू का अवैध उठाव जारी है।ज्ञात हो कि छापर बालू घाट में किसी भी स्टोकर का बालू स्टॉक नही है ऐसे में सवाल है कि आखिर किस स्टॉक के आधार पर रोज़ाना सैकड़ों गाड़ियों से यह अवैध परिवहन किया जाता है साफ जाहिर है कि बालू का अवैध परिवहन नदी से बालू का उठाव कर किया जाता है।और यह सारा खेल बदस्तूर जारी है।जिसपर खनन विभाग भी मौन धारण किए हुए है।वहीँ वन विभाग भी इसका समर्थन करता नजर आ रहा है।क्योंकि वन विभाग के रास्ते छापर बालू घाट तक जाया जाता है और सारा बालू का उठाव कर वन भूमि में डंप किया जाता है।बालू के अवैध उत्तखन्न से प्रकृति पर व्यापक असर पड़ रहा है।नदियों में बालू उठाव के कारण नदी का बहाव पूरी तरह रुक चुका है कई स्थानों में पानी तक सुख चुकी है।पानी जमीन के अंदर धंस गयी है।आस पास के जंगलों पर भी इसका अच्छा खासा प्रभाव पड़ता नजर आ रहा है।लगातार गाड़ियों के जंगली क्षेत्रों से आवागमन के कारण गांव के साथ जंगल भी प्रदूषण के जद में आ गया है।परंतु माफियाओ को इससे कोई फर्क पड़ने वाला नही है वहीं वन विभाग तो मौन धारण कर बैठ गया है।