Ranchi : माण्डर विधायक बंधु तिर्की ने कैबिनेट में मंजूर बिल, झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट 2020 के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, श्री तिर्की ने कहा है।सरकार के द्वारा पिछले कैबिनेट में झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट 2020 के लिए तैयार बिल को पिछले कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है ज्ञात सूत्रों से पता चला है कि आगामी मानसून सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा अगर ऐसा होता है तो इस राज्य के लिए यह बिल काला अध्याय की शुरुआत साबित होगा,बिहार सरकार ने बिहार लैंड मोटेशन एक्ट 2011 में लागू कर दिया है, इसमें म्युटेशन, जमाबंदी रद्द करने और किसानों के खाता पुस्तिका आदि के लिए प्रावधान किया है इसी के तर्ज पर राज्य सरकार ने झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट 2020 बनाने के लिए इससे संबंधित बिल तैयार किया है बिहार सरकार के इस एक्ट में जमीन के मामले में किसी तरह की गड़बड़ी की स्थिति में आम नागरिक अंचलाधिकारी एवं अन्य अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने न्यायालय में कंप्लेंट केस दर्ज करने का अधिकार है, यानी बिहार सरकार ने आम आदमी के अधिकार को सुरक्षित रखा है, जबकि झारखंड लैंड म्यूटेशन एक्ट 2020 में बिहार के मुकाबले एक अतिरिक्त प्रावधान जोड़कर आम आदमी के अधिकार को समाप्त कर दिया है,इससे झारखंड के आदिवासी,दलित एवं पिछड़े वर्ग के लोग जमीन से बेदखल हो जाएंगे। छोटानागपुर भुधृति अधिनियम 1869 के आधार पर पहनाई, मुंडाई,महतोवाई, डालिकतारी, भूतखेता, पैनभोरा, सरना-मसना,हड़गड़ी एवं छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1960 में दिए हुए मुंडारी,खुटकट्टी जमीन व्यवस्था में आधारित आदिवासियों की रीति- रिवाज परंपरा वाली जमीन के बारे में कोई उल्लेख नहीं है, विदित हो कि यह सारी जमीन भूमि सुधार अधिनियम 1950 के अंतर्गत नहीं आते हैं,और इन पर लगान रशीद अंचल अधिकारी द्वारा निर्गत करने का भी प्रावधान नहीं है, वैसे पदाधिकारी जो जमीन के मामले में गड़बड़ी किए हैं और जिन पर जांच चल रही है या जांच की जरूरत है वैसे पदाधिकारी बच जाएंगे, और उन पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो सकेगी,इस प्रस्तावित एक्ट की धारा में किए गए प्रावधान के तहत अब तक कोई अंचलाधिकारी या अन्य अधिकारी द्वारा जमीन से संबंधित मामलों के निपटारे के दौरान किए गए किसी गैर कानूनी कार्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है,कोई न्यायालय इन अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह का सिविल या क्रिमिनल केस नहीं दर्ज कर सकेगा, अगर किसी न्यायालय में किसी अधिकारी के खिलाफ जमीन से संबंधित सिविल या क्रिमिनल मुकदमा चल रहा हो इसे समाप्त कर दिया जाएगा। इस तरह का प्रस्तावित बिल सरकार लाती है तो यह सरकार के लिए आत्मघाती साबित होगा,ऐसे भी पूर्व में भ्रष्ट अंचलाधिकारी, अंचलकर्मी एवं बड़े पदाधिकारियों की मिलीभगत से भूमि संबंधित दस्तावेज में कई फर्जीवाड़े के उदाहरण मिले हैं,और प्रमाण के बावजूद ऐसे फर्जीवाड़े से जुड़े राजस्व पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होना जमीन की लूट की खुली छूट देने की तरह ऐसे कानून को झारखंड के आदिवासी-मूलवासी कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे, कैबिनेट के इस निर्णय का मैं विरोध करता हूं।और मुझे लगता है कि इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्रियों को गुमराह किया गया है।इस संबंध में जल्द ही माननीय मुख्यमंत्री से मिलकर अवगत कराया जाएगा जिससे इस बिल को सदन में लाने से रोका जा सके,इस बिल के विरोध में किसी हद तक जाने में कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा।
ज्ञात हो कि पूर्व सरकार के द्वारा इसी से संबंधित रेवेन्यू प्रोटेक्शन लाया गया था ,परंतु सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के विरोध के कारण कैबिनेट में दो बार प्रस्ताव आने के बावजूद इस पर सहमति नहीं बन पाई,मैं कैबिनेट के तमाम मंत्रियों एवं विधायकगण से आग्रह करूंगा कि इस तरह के प्रस्तावित बिल का पुरजोर विरोध करें।