नगर आयुक्त विभागीय सचिव के दबाव पर कार्य कर रहे हैं : आशा लकड़ा

Vijay Kumar Mishra
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Ranchi :  मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि 12 अगस्त से रांची नगर निगम क्षेत्र में होलिं्डग टैक्स व वाटर यूजर चार्ज का संग्रहण कार्य प्रभावित हो रहा है। नगर आयुक्त विभागीय सचिव के दबाव में मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को कार्य विस्तार करने के लिए एकरारनामा करने से बच रहे हैं। 09 जून को नगर निगम परिषद की बैठक में मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को कार्य विस्तार देने का निर्णय भी लिया जा चुका है। इस निर्णय के आधार पर मैने नगर आयुक्त को अब तक तीन बार (06 जुलाई, 25 जुलाई व 14 अगस्त) पत्र लिखकर मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को राजस्व वसूली से संबंधित कार्य के लिए कार्य विस्तार देने का निर्देश दे चुकी हूं। फिर भी नगर आयुक्त परिषद में लिए गए निर्णय को दरकिनार कर संबंधित एजेंसी को कार्य विस्तार देने से इन्कार कर रहे हैं। नगर आयुक्त का कहना है कि विभागीय सचिव के निर्देश पर मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को राजस्व वसूली से संबंधित कार्य के लिए कार्य विस्तार नहीं दिया जाएगा। हालांकि विभागीय सचिव के निर्देश से संबंधित कोई पत्र अब तक नगर आयुक्त ने नहीं दिया है। नगर आयुक्त के इस आचरण से स्पष्ट है कि वे विभागीय सचिव के दबाव पर कार्य कर रहे हैं। उनके लिए झारखंड नगरपालिका अधिनयम कोई मायने नहीं रखता। विभागीय सचिव का मौखिक निर्देश ही उनके लिए अहमियत रखता है। महापौर ने यह भी कहा कि मीडिया बंधुओं को यह भी बताना चाहूंगी कि 13 अगस्त को मैने विभागीय सचिव से मुलाकात कर झारखंड नगरपालिका अधिनियम का पालन कराने व निगम से संबंधित कार्यों में हस्तक्षेप नहीं करने का आग्रह की थी। परंतु विभागीय सचिव अपनी फितरत से बाज नहीं आ रहे हैं। विभागीय सचिव और नगर आयुक्त के रवैए से रांची नगर निगम को प्रतिदिन प्राप्त होने वाले राजस्व का नुकसान हो रहा है। मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड को कार्य विस्तार का आदेश न देकर विभागीय स्तर से होलिं्डग टैक्स, वाटर यूजर चार्ज और म्युनिसिपल ट्रेड लाइसेंस शुल्क की वसूली का काम शुरू कराया गया है। नगर आयुक्त को यह जानकारी होनी चाहिए कि रांची नगर निगम में टैक्स कलेक्टर्स की संख्या नाम मात्र की है, जो 53 वार्डों से राजस्व वसूली कार्य में सक्षम नहीं हैं। हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में रांची नगर निगम को राजस्व का भारी नुकसान होगा। इसके लिए नगर आयुक्त ही पूरी तरह जवाबदेह होंगे। नगर आयुक्त, झारखंड नगरपालिका अधिनियम के Custodian हैं। अधिनियम का पालन करना और पालन कराना उनकी जिम्मेदारी है। परिषद की बैठक में लिया गया निर्णय सर्वोपरि है। परिषद् के द्वारा लिए गए निर्णय पर परिषद् ही निरस्त कर सकता है। नगर निगम के किसी अधिकारी को यह शक्ति नहीं है, कि परिषद् के निर्णय को तब्दली कर सके। नगर आयुक्त को परिषद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते वे परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय का अवमानना न करें। यदि अधिनियम के विरुद्ध कार्य किए जा रहे हैं तो उन्हें सुसंगत धाराओं का हवाला देते हुए संबंधित विषय पर अपना तर्क स्पष्ट करना चाहिए।

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