भवनाथपुर से संवाददाता सतीश कुमार ठाकुर की रिपोर्ट।
फोन पर बात करने के लिए चढ़ना पड़ता है 150 फिट ऊंचे पहाड़ पर
भवनाथपुर : देश भर में आज टेलीकम्युनिकेशन ने रफ्तार पकड़ रहा है। 2जी, 3जी, 4जी के बाद अब 5जी की सुगबुगाहट है। लेकिन इसी बीच झारखंड में एक इलाका ऐसा भी है जहाँ 4जी तो छोड़िए फोन पर सिर्फ एक दूसरे से बात हो जाइये वही काफी है। जी हां तकनीक के इस दौर में झारखंड का यह इलाका आज भी काफी पिछड़ा है। यह फोन पर बात करने से पहले मोबाइल टावर ढूंढना पड़ता है। हम बात कर रहे है। गढ़वा के भवनाथपुर इलाके की जहां फोन की बात ही बेमानी सी लगती है। देश मे जहाँ आज 5जी इंटरनेट की टेस्टिंग पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन इस इंटरनेट की दुनिया में भवनाथपुर प्रखण्ड स्थित केमकरी पंचायत के बरवारी गाँव के लोग नेटवर्क कनेक्टिविटी जैसी मूलभत सुविधा से भी वंचित है। यहाँ नेटवर्क ढूंढने के लिए गांव के लोग पहाड़ पर चढ़ जाते है। सुनने में बड़ा अजीब लगेगा लेकिन यह बिल्कुल सच है। गांव से आधा किलो मीटर दूर बेवरा पहाड़ में जाकर मोबाइल से बात और ऑनलाइन कोई दूसरा काम करते है। यहाँ के लोग बताते है कि प्रखण्ड मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर मकरी पंचायत के बरवारी गाँव में किसी भी कंपनी का मोबाइल नेटवर्क काम नही करता है। ग्रामीणों को बात करने के लिए आधा किलोमीटर दूर बैरवा पहाड़ पर जाना पड़ता है।
राशन लेने से पहले अंगूठा लगाने भी पहाड़ पर जाना पड़ता है
सिर्फ फोन पर बात ही नही राशन के लिये पॉश मशीन में अंगूठा लगाने भी इसी पहाड़ पर आना पड़ता है। लाभुक धर्मजीत कुमार, सकल्दीप सिंह, धनराज सिंह, रामधारी राम, लल्लू तुरिया, सुग्रीम तुरिया, अवध विहारी, अवधेश तुरिया, अनिरुद्ध चंद्रवंशी, संतोष सिंह, नीलम सिंह, गनौरी तुरिया, नीतीश चंद्रवंशी, अजय सिंह, लोकेश यादव, उधय भान सिंह, रामजन्म तुरिया, मीणा तुरिया, कृष तुरिया, अगर तुरिया, रामदयाल सिंह उर्मिला देवी, सुनैना देवी, इन्द्र देवी, सरस्वती देवी ने कहा कि अधिकारीयों के उदासीन रवैया के कारण हम लोग बैरवा पहाड़ पर जाकर सारा काम करना पड़ता है। धूप हो या पानी हर मौसम में 150 फिट ऊपर चढ़ कर मशीन में अंगूठा लगा कर राशन उठाते है । लाभुकों ने कहा कि कभी-कभी ऐसा होता है कि उच्चे पहाड़ पर भी नेटवर्क काम नही करता है तो 2-3 दिन का समय बर्बाद हो जाता है। ग्रामीणों ने सरकार से मोबाइल नेटवर्क बहाल करने की मांग की है।
क्या कहते है डीलर
डीलर अनिल ने बातया की जब से जन वितरण प्रणाली व्यवस्था को ऑनलाइन किया गया है। तब से परेशानी कई गुना बढ़ गयी है। ई पॉश मशीन लेकर पहले पहाड़ पर जाना पड़ता है। कई बार पहाड़ पर भी नेटवर्क नही होता है। लेकिन लाभुक समझते नहीं और उलझ जाते है। सरकार भी राशन वितरण का दवाब तो बनाती है लेकिन समस्या दूर करने पर कोई विचार भी नही करता।
क्या कहते हैं बीडीओ सह एमओ मुकेश मछुआ
इस संबंध में पूछे जाने पर बीडीओ सह एमओ मुकेश मछुआ ने कहा कि आपलोग से हमे जानकारी मिल रही है डीलर से बात कर रजिस्टर पर लाभुक को लिख कर राशन बाटने की बात कही, जो नेटवर्क की समस्या है उसके लिए उच्च अधिकारी से करेंगे।