आदिवासियों की पहचान उनकी परंपरा और संस्कृति ही है : बाबूलाल मरांडी
मांडर: आने वाले राज्य के चुनाव में यदि भाजपा की सरकार बनी तो मैं यहां पहुंचने वाले सभी श्रद्धालुओं को अस्वस्थ करता हूं कि यह जो आदिवासियों का मिलन स्थल ऐतिहासिक है इसके विकास के लिए मैं पूरा ध्यान दूंगा। उक्त बातें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने मुख्य अतिथि के तौर पर दो दिवसीय ऐतिहासिक मुड़मा जतरा के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आदिवासियों की पहचान उनकी परंपरा और संस्कृति ही है, यदि हम आने वाली पीढ़ी को इस सहेज कर नहीं सौंपेंगे तो आदिवासी की बातें बस किताबों में ही सिमट कर रह जाएंगे। जतरा स्थल तक पहुंचने वाले हम सभी लोगों की यह जिम्मेवारी है कि हम अपनी संस्कृति और परंपरा को आने वाली पीढियां को सौंप साथही इस दौरान उन्होंने कहा कि धर्म गुरु बंधन तिग्गा ने यहां के जर्जर संस्कृतिक भवन को दिखाते हुए एक नए भवन की मांग की पर अभी राज्य में हमारी सरकार नहीं है फिर भी यह हमारी कोशिश होगी कि केंद्र सरकार के द्वारा तत्काल यहां एक भवन का निर्माण कराया जाए।
वहीं दूसरी ओर असम के कोकर झाड़ से पहुंचे सांसद नव कुमार सारनिया ने कहा आदिवासियों की पहचान ही उनकी संस्कृति है साथ ही संस्कृति के साथ-साथ सारण कोड भी आदिवासियों की आप पहचान है सरना कोड लेने के आंदोलन में झारखंड की जनता के साथ-साथ असम की जनता भी कदम से कदम मिलाकर खड़ी रहेगी क्योंकि सारण कोड हम आदिवासियों की पहचान है। वही कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने इस जतरा की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि यह शक्ति खूंटा मुंडा और उरांव का मिलन स्थल है या प्राचीन काल में प्रचलित आदिवासियों की पढ़हा व्यवस्था का एक प्रतीक को दर्शाता है। इससे पूर्व मुड़मा स्थित पुराने पड़ा भवन में 40 पडहा के पहांन, महतो, पुजार, कोटवार, पंवारिया एकत्रित हुए और वहां से शक्ति खूटा पहुंचे शक्ति खूटा की परिक्रमा करने के बाद विधिपूर्वक चालीसा पढहा के पहांन द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया इसके बाद धर्मगुरु बंधन तिगरा की अगुवाई में प्रार्थना करते हुए विधि विधान के साथ जतारा का उद्घाटन भी किया गया। इसके पश्चात मुख्य अतिथि बाबूलाल मरांडी अन्य विशिष्ट अतिथियों एवं धर्मगुरु बंधन तिग्गा के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर जतरा का विधिवत उद्घाटन किया।
इस वर्ष भी जतरा की सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम किए गए हैं जतरा का संचालन सफलता पूर्वक हो इसके लिए प्रशासन की ओर से 15,00 अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है। वहीं जतरा संचालन समिति की ओर से 1000 स्वयंसेवक भी तैनात हैं। पूरे जतरा परिसर में 15 वाच टावर लगाए गए हैं, साथ ही सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से भी जतरा स्थल के चप्पे चप्पे पर प्रशासन की नजर रहेगी डीएसपी अंकिता राय तथा डीएसपी राजत मणि बकाला के नेतृत्व में प्रशासन के लोग लगातार जतरा स्थल के सफल संचालन में लगे हुए हैं।
मुड़मा जतरा अपनी ऐतिहासिकता के लिए यूं ही नहीं विख्यात है आम जन जीवन से लेकर आधुनिक जनजीवन तक की सारी सामग्रियां यहां देखने को मिल जाती हैं। पुराने जमाने से ही पृथ्वी प्रचलित पहले की बात करें , या पारंपरिक वाद्य यंत्रों की बात करें, चाहे मछली मारने की जाल की बात हो, यालोहे तथा अन्य चीजों से बने सामग्रियों की बात हो सारी चीज एक साथ मुड़मा जतरा में उपलब्ध रहती है। सूखे हुए सागों की बात करें या बहुत ही दुर्लभ माने जाने वाली हडवा की बात करें सभी चीज लोगों को वश में एक बार इस जतरा में मिल जाती हैं।
मौके पर स्थानीय सांसद सुदर्शन भगत, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, भजाप युवा नेता सन्नी टोप्पो, नेपाल से किसू उरांव, प्रदेश अध्यक्ष रावी तिग्गा, राष्टीय महासचिव विद्या सागर केरकेट्टा, बंगाल से भगवान दास मुंडा, अंडमाननिकोबार से प्रदीप कुमार एक्का, सूर्य देव उरांव, बीसू उरांव प्रदेश अध्यक्ष, राम किशन उरांव, अध्यक्ष जगराम उरांव, चारो उरांव, 21 पडहा के राजा बंदे उरांव, मनोज उरांव, प्रवक्ता संजय पहन, एस अली, साकिर इस्लाही, आबिद अंसारी, बाबू पाठक, मुखिया बंधन उरांव, कमले उरांव, राम किशुन उरांव, राबुल अंसारी सहित अन्य मौजूद थे।