भालूओ की लगातार हो रही मृत्यु से पिठोरिया मे मचा ह्ड़कंप

Frontline News Desk
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भालूओ की लगातार हो रही मृत्यु से पिठोरिया मे मचा ह्ड़कंप 

भालूओ के मरने पर ग्रामीणों मे चिंता, विभाग उदासीन

रिपोर्ट : आकाश सोनी /सुमित केशरी, पिठोरिया.

 

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रांची /पिठोरिया : 4 दिन पहले रेस्क्यू किया गया भालू अंततः जिंदगी का जंग हार चुका है, परन्तु यहाँ बड़ा सवाल खड़ा हो चूका है? की किसकी लापरवाही से भालू की जान चली गई है,सूत्रों की माने तो यहाँ संबंधित विभाग की उदासीनता का परिणाम है, की उक्त भालू की मौत हो चुकी है, जानकारो ने कहा की भालू का समय पर इलाज नहीं हो पाया, इसमें विभाग के अधिकारी मामले को दबाने का काम मे लग गए, जिससे समय पर इलाज नहीं हो सका और उसकी मौत हो गई है जिम्मेदार लोगो को यह जिम्मेदारी निभाने मे आखिर विफल हो गए,पर मृत भालू के जिम्मेदार लोग आज भी खामोश है जिसका परिणाम है की रविवार को भी क्षेत्र मे और 2 भालूओ का मृत शरीर मिला,और अन्य की तलाश किया जा रहा है.जिससे क्षेत्र मे हड़कम मच गया है.ग्रामीणों की माने तो अभी और भालूओ का मृत शरीर क्षेत्र के जंगलो मे है परन्तु विभाग के द्वारा सिर्फ फारेस्ट गार्ड को भेजकर खाना पूर्ति की गई है, लगातार मृत शरीर भालूओ के मिलने के बाद भी फॉरेनसिक टीमों का वहाँ नहीं पहुंचना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है? आखिर जिम्मेदार इसपर संज्ञान क्यों नहीं लेते है,क्यों इनकी मौत को दबाया जा रहा है?

 

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पिठोरिया क्षेत्र के कुसु गांव मे सैकड़ो एकड़ो के पहाड़ो- वन जंगलो मे बसे है वन्यप्राणी : क्षेत्र मे लकड़बघा, तेंदुआ ,हिरण मोर,भालू, खरगोश, शाही, पेंगोलीन, सांप जैसे जानवरो का है बसेरा पिठोरिया के कुसु के जंगलो मे है, इस क्षेत्र को रिजर्व एरिया घोषित किया जाना चाहिए था,वावजूद क्षेत्र वन्यजीवो को सुरक्षा को लेकर खिलवाड़ किया जा रहा है,विभाग इनकी सुरक्षा को लेकर उदासीन रवैया बनया हुए है.

हाथियों का कोरिडोर है क्षेत्र : हाथियों का कोरिडोर है पिठोरिया के कुसु गांव, जहाँ लगतार हाथियों का आना जाना लगा रहता है बावजूद उक्त क्षेत्र मे लगातार हो रहे निर्माण कार्य ने ग्रामीणों को अचम्भे मे डाल दिया है. ग्रामीणों का कहना है की जिस और से हाथियों का आना जाना होता है वहाँ निर्माण कार्य चल रहा है तो इनका रास्ता बंद हो जायेगा, जिससे हाथी और ज्यादा एग्रेसिव होंगे, जिसका खामियाजा हम ग्रामीणों को भुगतना पड़ेगा.आखिर अब हाथियों का आना जाना कैसे होगा और किधर से होगा यह बड़ा सवाल लोगो के जेहन मे कोंध रहा है.

वन क्षेत्र मे पथ निर्माण :जिस क्षेत्र मे एक पगडंडी हुआ करता था जिसे गांव के लोग यूज किया करते थे उस वन क्षेत्र मे वन विभाग के जमीन पर कंक्रीट यूज कर पथ का निर्माण कराया जा रहा है. यहाँ सवाल है की आखिर विभाग के जमीन पर पथ निर्माण की स्वीकृति किसने और क्यों दी है, उक्त पथ निर्माण से ना सिर्फ अमजनों वरण जंगलो मे रह रहे जंगली जानवरो को भी खतरा उत्तपन हो चूका है. जिसका खामियाजा जानवरो को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है.

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वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन मे करोड़ो ख़र्च, फिर भी धरातल मे मामला फिसर :सरकार वन्य जीव सुरक्षा को लेकर लगातार प्रयास कर रही है इसके लिए वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन के तहत करोड़ो रुपया खर्च भी कर रही है पर धरातल पर इसका सदुपयोग कितना किया जा रहा है यह तो पिठोरिया मे हुए भालूओ की लगातार मौत ने खोल दी है. यहाँ सबसे बड़ा सवाल है की इसके जिम्मेदार कौन है सरकारी तंत्र या फिर कुछ भ्रष्ट अधिकारी जो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते है?

वन्य क्षेत्र मे भू – माफिया है सक्रिय : भू – माफियाओ की सक्रियता सिर्फ आम व खास मे ही नहीं है वरण इनकी सक्रियता वन्य क्षेत्रो मे भी देखने को मिला है, वन्य क्षेत्रो की जमीनों पर इनकी नजर जोरो पर है यहाँ जंगल के जमीनो की मिट्टी की कटाई कर समतल बनाने और जमीनों को बेचने का काम मे लगे है इसका ताज़ा उदाहरण भी कुसु गांव मे देखने को मिला जहाँ मिट्टी कटाई जोरो पर है. मिट्टी काट जमीन को समतल कर उसे बेचने के काम मे लगे है.

पिठोरिया वैली सिटी का निर्माण से वन्य जीव को होगा नुकसान : पहाड़ो जंगलो के बिचौबीच पिठोरिया वैली सिटी का निर्माण से वहाँ बस रहे वन्य जीवो को काफ़ी नुकसान पंहुच रहा है अभी तक दर्जनों भालूओ की मौत हो चुकी है जो संदेह के घेरे मे है. वन अधिनियम के अनुसार वन क्षेत्र के 500 मीटर के बाद ही कोई भी निर्माण कार्य होनी चाहिए, वावजूद जंगल से सटे क्षेत्र मे निर्माण कार्य को मंजूरी कैसे मिली और किसने दी यह बड़ा सवाल व जाँच का विषय है.

नहीं है पहुंच पथ फिर भी बड़ा प्रोजेक्ट कैसे है संचालित : पिठोरिया वैली सिटी निर्माण के लिए पहुंच पथ का आभाव है या यूँ कहे की पहुंच पथ नहीं है जंगलो को काटकर पहुंच पथ का निर्माण कराया जा रहा है यहाँ सावला है की क्या इन्हे NOC दी गई है या फिर चढ़ावा चढ़ा कर उक्त कार्य को अंजाम धड़ल्ले से दिया जा रहा है यह जाँच का विषय है. फिलहाल पुरे मामले पर वन विभाग मौन है

क्या कहते है रेंजर :क्षेत्र के रेंजर जीतेन्द्र कुमार का कहना है की एक भालू को रिस्कयु कराया गया था जिसका मौत हो चूका है पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही कुछ भी कहा जा सकता है और भालूओ की मौत का पता चला है मैंने फॉरेनसिक जाँच के लिए कहा है साथ ही थाना मे मामला दर्ज करने को भी कहा है, जल्द मामले पर पुरी जाँच होंगी.

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