वर्षों से जान जोखिम में डालकर यहां से पढ़ने के लिए दर्जनों बच्चों को गुजरना पड़ता है नदी से

Frontline News Desk
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वर्षों से जान जोखिम में डालकर यहां से पढ़ने के लिए दर्जनों बच्चों को गुजरना पड़ता है नदी से!

 

 

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Chatra : उपरोक्त तस्वीर अपने देश व झारखंड में खनिज संपदाओं से संपन्न होने के कारण सर्वाधिक राजस्व देने वाला हजारीबाग जिला स्थित केरेडारी प्रखंड के सूदूरवर्ती गांव लोहरा की व्यथा है ,जो चतरा जिला स्थित मशहूर कोयलांचल नगरी टंडवा के सीमावर्ती क्षेत्र में पड़ता है।

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अब इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि देश व राज्य को अरबों रुपए का जिस जिले से राजस्व संग्रहण हो रहा हो तथा डीएमएफटी मद में भी हजारों करोड़ का कोष संग्रहण होने के बावजूद वर्षों से जान जोखिम में डालकर यहां से पढ़ने के लिए दर्जनों बच्चों को गुजरना पड़ता है। वहीं इलाज के लिये जरुरी पड़ने पर बरसात के दिनों में ग्रामीण या तो जोखिम उठाते हैं या फिर समुचित इलाज के अभाव में अपनी जान गंवाते हैं।

 

 

आपको बता दें हजारीबाग जिला अंर्तगत केरेडारी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 20 किमी उत्तर-पूर्व में बसा सुदूरवर्ती लोहरा नामक गांव जहां बहुतायत आदिवासी परिवार के लोग रहते हैं। जानकारी देते हुवे चतरा जिला स्थित टंडवा प्रखंड के हेसातु विद्यालय के (राजकीय सम्मान प्राप्त) शिक्षक बिनेश्वर महतो बताते हैं कि लोहरा गांव में मिडिल स्कूल से शिक्षा पाने बाद आगे की पढ़ाई के लालायित विद्यार्थियों का संघर्ष शुरू हो जाता है।वे लोहरा गांव से करीब 5 किमी की दूरी तय कर उनके विद्यालय में सभी पढ़ने के लिये आते हैं।इसी दौरान रास्ते में पड़ने वाले लोहरा नदी से बरसात के दिनों में उन्हें सर्वाधिक विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। आगे शिक्षक श्री महतो बताते हैं कि बरसात के दिनों लगातार बारिश होने पर बच्चे विद्यालय में लंबे दिनों तक जहां अनुपस्थित रहते हैं। वहीं अगर दुर्भाग्यवश बारिश स्कूल आने के बाद जब हो जाये तब हेसातु गांव में हीं या तो शरण लेते हैं या फिर ज्यादातर लोग जोखिम तक उठा लेते हैं। ऐसे में वर्षों से विकास की बाट जोह रहा लोहरा नदी पर पुल और सड़क का निर्माण अगर हो जाय तो आदिवासी बहुल गांव के विद्यार्थियों समेत स्थानीय निवासियों के विकास में काफ़ी सहायक सिद्ध होगा।

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