रिपोर्ट : विजय मिश्रा
बुढ़मू व ठाकुरगांव के ईंट भट्टो में जल रहा है बचपन।
बुढ़मू : कहते हैं बचपन किसी तितली सा होता है।लेकिन बुढ़मू व ठाकुरगांव में बचपन आग में झुलस रहा है।भट्टा मालिको द्वारा मासूम बच्चों को मजदूर बना रखा है और बच्चें ईंट भट्ठों में बाल मजदूरी कर रहे हैं।जिसकी जानकारी यहाँ बैठें आलाधिकारियों को है।श्रम विभाग को भी है जो गहरी नींद में सो रहा है।
तस्वीरों में बच्चों को बाल मजदूरी करता साफ साफ देखा जा सकता है।जिन कंधों पर स्कूल का बस्ता होना चाहिए, जिन हांथो में कॉपी कलम होनी चाहिए, जिन कदमो को बुलंदी की सीढ़ियां चढ़ानी चाहिए थी।वो कदम बगल में ईंट दाबे मजदूरी की ढलान पर हैं।दो वक्त की रोटी के वास्ते इन मासूमो को भट्टेदारो ने मजदूर बना दिया है।अपना पसीना बहाकर मासूम मजदूरी कर अपना पेट पालने में लगे हैं।इसका जिम्मेदार आखिर कौन है?यह एक बड़ा सवाल राज्य व देश के सामने है।
बाल श्रम के नाम पर कानूनों और नियमो को जेब मे रखने वाले अफसर,बाल श्रम के नाम पर अभियान चलाने वाले श्रम विभाग आराम की चादर ताने सो रहा है।और बचपन ईंट बनाता जैसे रो रहा है।ऐसे में सवाल है कि आखिर लापरवाह विभाग पर कब कार्रवाई होगी।
भारतीय सविधान के अनुच्छेद 24 में साफ लिखा गया है कि 14 वर्ष से कम आयु के किसी बालक को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नही किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोज में नही लगाया जाएगा। बावजूद ठाकुर गांव व बुढ़मू के ईंट भट्टो में बच्चों से काम लिया जा रहा है।जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 24 का उल्लंघन है। अब देखना है की सरकार इस पर क्या कार्रवाई करते है।
अवैध चिमनी ईंट भट्ठे है संचालित, नियमो का उड़ रहा है धज्जियाँ, खनन विभाग मौन।
बताते चले कि बुढ़मू व ठाकुर गाँव मे करीब सैकड़ो ईंट भट्ठे संचालित है।जिसमे से अधिकतर चिमनी है।जो पूर्ण रूपेण अवैध है।वहीं कई ईंट भट्टो का प्रदूषण लाइसेंस तक नही है।वावजूद यह धड़ल्ले से संचालित है।जिसपर खनन विभाग किसी प्रकार की कार्रवाई नही करती है।यही नही इन ईंट भट्टो में खनन नियमो का पूर्ण रूप से उलंघन करते देखा जा सकता है।मिट्टी का अवैध उत्खनन से लेकर यहाँ कई बाल मजदूर तक देखे जा सकते है।परंतु प्रसाशन देख कर अनदेखा करते रहती है।
प्रदूषण में हो रही लगातार वृद्धि : अवैध ईंट भट्ठों से निकलने वाले काला धुआँ लगातार प्रदूषण फैला रही है।जिससे आसपास का वातावरण तो दूषित हो रहा है।जल जंगल जमीन पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता जा रहा है।कई ईंट भट्ठे नदी के किनारे बनाये गए है जिससे नदी का पानी तक प्रदूषित हो रहा है।वहीं दर्जनों ईंट भट्ठे जंगल के बीचोबीच है जिससे जंगलों में भी असर पड़ रहा है।जंगलों के बीच ईंट भट्ठे होने के कारण जंगलों का कटाव भी जारी है।और जंगल नष्ट होता जा रहा है।साथ ही कृषि युक्त जमीन पर ईंट भट्टो का होने से कृषि कार्य भी प्रभावित हो रही है।जिससे अनाज उत्पादन में कमी आ रही है। अगर इसी प्रकार से चलता रहा तो आनेवाला समय मे गांव में सिर्फ भट्टे रहेंगे, न कृषि कार्य होगा, न जंगल रहेगी और न नदियां, जिससे मानव जीवन मे इसका अच्छा खासा प्रभाव पड़ेगा।
वन विभाग,खनन विभाग और प्रशासन आखिर क्यों है मौन : प्रखंड क्षेत्र में खनन से लेकर,जल जंगल जमीन तक में अवैध कार्य किया जा रहा।अवैध बालू खनन,अवैध कोयला खनन,अवैध ईंट भट्ठा, अवैध पत्थर खनन,वावजूद इसपर किसी प्रकार का रोक नही लगाया जा रहा है।जिससे सरकार को राजस्व की हानि तो हो रही है यहाँ इसका प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता जा रहा है।नदियाँ सुख चुकी है जंगल कट रहे है।भूमि बंजर बनता जा रहा है।परंतु कुछ लोगो को सिर्फ अवैध कमाई का जरिया चाहिए।
खपाया जाता है अवैध कोयला : अवैध कोयला इन ईंट भट्ठों में खपाया जा रहा है।उक्त कोयला हेन्दगीर,छापर,पिपरवार,खलारी सहित अन्य स्थानों से चोरी कर लाया जाता है और वर्तमान में ठाकुर गांव व बुढ़मू थाना क्षेत्र में चल रहे ईंट भट्ठों में खपाया जाता है।दुपहिया,चारपहिया, हाइवा, ट्रैक्टर, मारुति ओमनी सहित अन्य वाहनों से अवैध परिवहन कर लाया जाता है कोयला।हाल ही में वन विभाग द्वारा 2 हाइवा में लदे अवैध कोयले को जप्त कर कार्रवाई की गई है वहीं ठाकुर गांव थाना द्वारा 1 टर्बो व दो मारुति ओमनी को जप्त कर कार्रवाई की गई है।हालांकि इस कार्रवाई से माफियाओं को फर्क पड़ने वाला नही है।और यह कार्य बदस्तूर रात के अंधेरे में जारी है।