करमा पूजा भाई-बहन के स्नेह और प्रेम की निशानी :ममता देवी (प्रमुख बालूमाथ )

Frontline News Desk
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रिपोर्ट : परमेश पांडेय, बालूमाथ… 

करमा पूजा भाई-बहन के स्नेह और प्रेम की निशानी :ममता देवी (प्रमुख बालूमाथ )

 

प्रखंड प्रमुख ममता देवी ने कर्मा के शुभ अवसर पर कर्मा के विशेषता के बारे में जानकारी दी

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बालूमाथ : भाई-बहन का पवित्र पर्व करमा    बिहार,झारखंड,उड़ीसा,असम सहित अन्य राज्यों में प्रमुखता से मनाया जाता है.भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि को हर साल यह पर्व मनाया जाता है.करमा पूजा भाई-बहन के स्नेह और प्रेम की निशानी के रूप में मनाया जाने वाला यह पर्व 3 दिनो का है, महिलाएं निर्जला उपवास रहेंगी और शाम को आंगन में करम पौधे की डाली गाड़कर पूजा करेंगी. करमा पर्व क्‍या है और क्‍यों मनाया जाता है? इसके पीछे की पौराणिक कथाओ के अनुसार कर्मा और धर्मा नामक दो भाइयों ने अपनी बहन की रक्षा के लिए जान को दांव पर लगा दिया था. दोनों भाई गरीब थे और उनकी बहन भगवान से हमेशा सुख-समृद्धि की कामना करते हुए तप करती थी. बहन के तप के बल पर ही दोनों भाइयों के घर में सुख-समृद्धि आई थी. इस एहसान के फलस्‍वरूप दोनों भाइयों ने दुश्मनों से बहन की रक्षा करने के लिए जान तक गंवा दी थी. इसी के बाद से इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरू हुई.
इसके अलावा इस पर्व से जुड़ी एक और कहानी है एक बार कर्मा परदेस गया और वहीं जाकर व्यापार में रम गया. बहुत दिनों बाद जब वह घर लौटा तो उसने देखा कि उसका छोटा भाई धर्मा करमडाली की पूजा में लीन है. धर्मा ने बड़े भाई के लौटने पर कोई खुशी नहीं जताई और पूजा में ही लीन रहा. इस पर कर्मा गुस्‍सा गया और पूजा के सामान को फेंककर झगड़ा करने लगा. धर्मा चुपचाप सहता रहा. वक्त के साथ कर्मा की सुख-समृद्धि खत्म हो गई. आखिरकार धर्मा को दया आ गई और उसने अपनी बहन के साथ देवता से प्रार्थना की कि भाई को क्षमा कर दिया जाए. एक रात कर्मा को देवता ने स्वप्न में करमडाली की पूजा करने को कहा.कर्मा ने वहीं किया और सुख-समृद्धि लौट आई.आइए हम सभी भी मिलकर करमा पर्व के अवसर पर इस जिले ,राज्य ,देश की खुशहाली की प्रार्थना करे.

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