विधायक ने उपायुक्त को पत्र लिखकर किया रेलवे साइडिंग निर्माण के प्रयासों को अविलंब रोकने की मांग

Frontline News Desk
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विधायक ने उपायुक्त को पत्र लिखकर किया रेलवे साइडिंग निर्माण के प्रयासों को अविलंब रोकने की मांग

उच्च न्यायालय में लंबित याचिका, भारी प्रदूषण की संभावना व फर्जीवाड़ा संबंधित मामले का जिक्र

 

 

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टंडवा (चतरा) :  सीसीएल द्वारा संचालित आम्रपाली कोल परियोजना क्षेत्र में रेलवे साइडिंग निर्माण को लेकर वनाधिकार समिति से अनापत्ति प्रस्ताव लेने हेतु पिछले कई अनिर्णायक प्रयासों व ग्रामीणों को लेकर पक्षकारों द्वारा व्याप्त समर्थन व विरोध के तमाम अटकलों के बीच सिमरिया विधायक किसुन कुमार दास ने आज पत्रांक 204/2023 के माध्यम से उपायुक्त को पत्र लिखा है। जिसमें बताया गया है कि आम्रपाली कोल परियोजना द्वारा ग्राम सेरनदाग में फर्जी तरीके से कोल बेरिंग एक्ट (सीबीए 1957) के तहत बगैर ग्रामसभा व किसी पूर्व सूचना के भूमि अधिग्रहण हेतु सेक्शन 4,7,8,9,12 लगा दिया गया, जबकि सेरनदाग में तो कोयला हीं नहीं है । वहीं अंचल कार्यालय ने पत्रांक 614 के माध्यम से सेरनदाग में 18 मई 2023 को बगैर बैठक कराए फर्जी तरीके से पर्यवेक्षकों समेत स्थानीय मुखिया, वनाधिकार समिति व ग्रामीणों के हस्ताक्षरित फर्जी अनापत्ति प्रस्ताव का दस्तावेज तक तैयार कर लिया गया । जिसकी शिकायत तमाम संबंधित उच्चाधिकारियों को करने के बावजूद भी अबतक समुचित कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं ग्रामीणों द्वारा प्रस्तावित ग्राम सभाओं का तीखा विरोध जारी है फिर भी अंचल कार्यालय ने ताबड़तोड़ 614,827,850,875,903 पत्रांक जारी कर ग्रामीणों को विभिन्न लोगों द्वारा भ्रमित, दबाव,प्रलोभन एवं धमकी तक दी जा रही है।

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आगे जिक्र है कि सीसीएल के असंतोषजनक भूमि अधिग्रहण नीति के खिलाफ हाईकोर्ट में ग्रामीणों की ओर से एक याचिका 4332 / 2022 फिलवक्त विचाराधीन है। वहीं ध्यानाकर्षण कराया गया है कि अंचल कार्यालय के पत्रांक 614,827,850 में जहां रेलवे साइडिंग बनाने हेतु सेरनदाग में ग्रामसभा कराने का जिक्र है जबकि पत्रांक 903 में रेलवे लाईन का निर्माण। ऐसे में यह मामला षड्यंत्रकारी लगता है। इसके साथ हीं ग्राम सेरनदाग में पिछले 6 वर्षों से 297.86 एकड पर उक्त सेक्शन लगाया गया है जबकि रेलवे लाइन के लिए मात्र 30 मीटर चौड़ाई जमीन काफी है।बताया गया है कि ग्रामीण रेलवे लाईन का विरोध नहीं बल्कि साईडिंग बनाने का विरोध भारी प्रदूषण, लगभग 4 से 5 हजार की ग्रामीण आबादी का गंभीर बीमारियों से प्रत्यक्ष प्रभावित होने की आशंका समेत अनेकों वन्य प्राणियों के आश्रयों पर संकट व बड़की नदी के सहायक नाले का अस्तित्व मिटने की बातें कही गई है।इस मामले में उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाते हुए बिंदुवार जांच कर फर्जीवाड़ा करने वाले संलिप्त लोगों पर विधिसम्मत कार्यवाई करने समेत उच्च न्यायालय में विचाराधीन याचिका का फैसला आने तक ग्रामसभा कराने पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है।

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