असमान मुआवजा नीति से कोल परियोजना का विस्तारीकरण अब खा रहा है हिचकोला
शशि पाठक
टंडवा (चतरा) : प्रखंड क्षेत्र में औद्योगिक विस्तार व स्थापना के लिए कतार में खड़े कंपनियों को भूमि अधिग्रहण के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक दशक के अंदर निजी कोल ब्लॉक वृंदा- सिसई कोल परियोजना में तीन कंपनी भू-रैयतों के तीखा विरोध के कारण जहां बैरंग लौट गये। वहीं कोल ब्लॉक आवंटित कंपनी डालमिया से अपने हांथों में संचालन करने का बागडोर लिये घूम रहे नीलकंठ नामक आउटसोर्सिंग प्रबंधन को भी कुछ भी सफलता हांथ नहीं लगी है। अधिग्रहण के लिए निर्धारित कुल भूखंडों में से लगभग 75 प्रतिशत क्षेत्र पड़ने वाला सिसई, कटाही-मिश्रोल व किसुनपुर के भू-रैयत अपनी जमीन देने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।_
*आखिर, कोल कंपनियों का क्यों करते हैं रैयत विरोध!?
बताया जाता है कि फिलहाल टंडवा क्षेत्र में सीसीएल 9,02,900 (नौ लाख दो हजार नौ सौ रुपए) प्रति एकड़ यानि 36116 रुपये प्रति डिसमिल के दर से रैयतों को भुगतान करती है। जबकि सीसीएल ने हीं हजारीबाग जिले के गिद्दी में रैयती भूमि के बदले प्रति डिसमिल 2,54,480 (दो लाख चौवन हजार चार सौ अस्सी रुपए) दिये गये हैं जिसके अनुरूप राशि की पुरजोर मांग हो रही है। बता दें, सीसीएल ने कोयला धारक अधिनियम (अर्जन एवं विकास) अंतर्गत अधिसूचना संख्या 1244 ई दिनांक 17 – 03 – 2021 के आधार पर विभागीय पत्रांक राजस्व/2344 दिनांक 23 – 12 – 2022 को उपरोक्त निर्धारित राशि के अनुरूप मुआवजा तय की गई थी। जिसमें भू-रैयत जगदीश साव, बीगन साव, गुंजा साव, अमृत साव, कार्तिक महली, बिहारी महली, महारंगा गंझू, भीमा गंझू व रंथवा गंझू के कुल अधिगृहीत 3.06 एकड जमीन के बदले 77870880.00 ( सात करोड़ अठहत्तर लाख सत्तर हजार आठ सौ अस्सी रुपए ) सीसीएल ने भुगतान किये ।
हालांकि, मुआवजा भुगतान के असमानता संबंधित उक्त मामला नवंबर 2022 में सीसीएल के चंद्रगुप्त कोल परियोजना को लेकर उडसू में आयोजित लोक जनसुनवाई कार्यक्रम के दौरान रैयतों ने जोर-शोर से उठाया था।उस वक्त काफी देर तक वहां गहमागहमी बनी रही थी।जिसपर सफाई देते हुवे अधिकारियों ने लोगों को बताया था कि क्षेत्रीय स्तर पर मुआवजे की राशि अलग -अलग तय होती है। हालांकि, पिछले लगभग साल भर से मुआवजा में असमानता का असर चंद्रगुप्त परियोजना में देखने को मिला है, जिससे सीसीएल भू- रैयतों से अपेक्षाकृत जमीनों का अधिग्रहण नहीं कर सकी है। स्थानीय रैयत लगातार विरोध करते आ रहे हैं। स्मरण हो कि पिछले दिनों आम्रपाली-चंद्रगुप्त क्षेत्र के ग्रामीणों के व्यापक विरोध का कोपभाजन महाप्रबंधक को बनना पड़ा था।
बहरहाल, भूमि अधिग्रहण की असमानता से उपजा असंतोष वृंदा सिसई कोल परियोजना क्षेत्र के रैयतों में भी दिखाई देता है। पूछे जाने पर भू-रैयत पवन उरांव व पंकज उरांव ने बताया कि परियोजना आवंटित कंपनी डालमिया से विस्तार का बागडोर लेकर नीलकंठ ने जब से ग्रामीणों के बीच कदमताल बढाया एक स्वर में सभी ग्रामीण निजी कंपनी का विरोध नारेबाजी,पुतला दहन व दीवार लेखन के रूप में कर चुके हैं।कहा तमाम विरोधों में मुआवजा की असमानता एक मामला जरुर है। अगर, हजारीबाग के गिद्दी में सीसीएल द्वारा भुगतान किये गये मुआवाजे के अनुरूप हीं कोल कंपनी को प्रति एकड़ लगभग ढाई करोड़ से अधिक भुगतान करना पड़ेगा, जिससे कम का भुगतान तो कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है।