विधायकों से मिले  शिक्षक,बताई अपनी समस्या

Frontline News Desk
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 विधायकों से मिले  शिक्षक,बताई अपनी समस्या

राँची : झारखंड हाई कोर्ट के सोमवार को नियोजन नीति को लेकर आये फैसले के बाद अचानक नौकरी से हटाए गए शिक्षक मंगलवार को सड़कों पर नजर आ रहे हैं। यह सभी शिक्षक पिछले सरकार में नियोजन नीति के लागू होने के बाद नियुक्त किए गए थे, लेकिन झारखंड हाई कोर्ट के एक फैसले ने इनकी तकदीर एक रात में बदल दी।

मंगलवार को विधानसभा मानसून सत्र के बाद विधानसभा के पास इकट्ठा हुए शिक्षकों से चंदनकियारी विधायक अमर कुमार बाउरी, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, भवनाथपुर विधायक भानु प्रताप शाही ने मुलाकात की। नेताओं ने शिक्षकों को आश्वासन दिया कि सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जो उनकी नौकरी गई है उस लड़ाई में वह अंत तक उनका साथ देंगे।

मौके पर शिक्षकों ने बताया कि पूरे राज्य के 18000 शिक्षकों के घरों में   चूल्हा नहीं जला है। कईयों के शादियां टूट गई, कईयों के परिवार इस सरकार के फैसले से आहत है। ऐसे में वे लोग विधानसभा के पास अपनी फरियाद लेकर सरकार से मांग करने पहुंचे हैं कि उनकी नौकरी को बचा लिया जाए।

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मौके पर हटिया विधानसभा के विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि वर्तमान की हेमंत सरकार सिर्फ इस बात को लेकर अपनी जिद पर है कि वह रघुवर दास की नीतियों को गलत साबित कर सकें। जबकि रघुवर दास ने झारखंड के युवाओं को नौकरियां दी है, ना की किसी की नौकरी लेने का काम किया है।उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वे युवाओं के भविष्य की चिंता करें।

पूर्व मंत्री सह चंदनकियारी विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि जैसे ही सोमवार को माननीय हाईकोर्ट का निर्णय आया उसके बाद उन्होंने  सदन में इस मुद्दे को लेकर कार्यस्थगन लाया।

उन्होंने बताया कि सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट के द्वारा शिक्षक नियुक्ति को रद्द करने और फिर से उसकी प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गई है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार की तरफ से नियोजन नीति को लेकर स्पष्ट बिंदु नही रख पाई है। जिस कारण यह फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस विषय पर सदन के अंदर अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि जब वर्तमान सरकार 1985 के आधार वाली नियोजन नीति को लागू नहीं कर पा रही है तो 1932 पर आधारित नियोजन नीति कैसे लागू कर पाएगी। क्या यह जुमला सिर्फ चुनावी मुद्दा था। ताकि वे सत्ता पर आसीन हो सके। उन्होंने बताया कि 2014 से लेकर 2019 तक रघुवर दास वाली सरकार ने शत प्रतिशत झारखंड के लोगों को नौकरियां दी। यह नौकरियां ग्रेड 3 और ग्रेड 4 के लिए ही आरक्षित थी। जबकि ग्रेड 1 और ग्रेड 2 के लिए इसमें कोई प्रावधान नहीं है और यह मात्र 10 वर्षों के लिए ही लागू की गई थी।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखने के कारण आज शत-प्रतिशत झारखंड के मूल वासियो की नौकरियां खतरे में है। कोर्ट ने भी माना है कि किसी भी राज्य में शत-प्रतिशत स्थानीय को नौकरी देना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि जब 1985 को आधार बनाकर तैयार किया गया नियोजन नीति को यह सरकार लागू नहीं कर पा रही तो 1932 को आधार बनाकर नियोजन नीति तैयार कर स्थानीयों को नौकरी देने की बात अपने चुनावी चुनावी सभा में कैसे किया।
उन्होंने सरकार से मांग किया है कि वे झारखंड के युवाओं की नौकरी को किसी भी तरह से बचा ले। वहीं उन्होंने सभी शिक्षकों को एक जुट हो कर सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का सुझाव भी दिया।
मौके पर विधायक भानु प्रताप शाही ने कहा कि हजारों शिक्षकों के घरों में आज चूल्हा नहीं जल रहा। परिवार की स्थिति राज्य सरकार के गलत नीति के कारण अचानक से दयनीय हो गई और यह सरकार की सोची समझी साजिश के कारण हुआ। सरकार रघुवर दास की नीतियों को गलत साबित करने पर आतुर है। सरकार ने  युवाओं का कत्ल करने का काम किया है, जब कि अगर सरकार चाहती इन युवाओं की नौकरियों को बचाते हुए नियोजन नीति को रद्द करने का काम कर सकती थी।
उन्होंने सरकार को सचेत करते हुए कहा कि झारखंडियों के नाम पर सत्ता पर बैठी हेमंत सरकार के सट्टे का कब्र यही  युवा खोदने का काम करेंगे।

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