अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के सत्याग्रह आंदोलन जारी,महाविद्यालयों में पढ़ाई ठप।
Ranchi : राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों द्वारा अपनी माँग हेतु नौंवें दिन भी राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन अनवरत रुप से जारी है।
झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रदेश संरक्षक डाॅ०एस०के०झा ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी दयनीय है ,जिसका मुख्य कारण यहाँ शिक्षकों की घोर कमी है। राज्य बनने के बाद यहाँ सिर्फ एक बार 2007-08 में व्याख्याता नियुक्ति हुई,तदुपरांत 2018 में 1118 रिक्त पदों का विज्ञापन निकाला गया,पर उसमें भी अभी तक सिर्फ बैकलॉग के 250-300 शिक्षकों को नियुक्ति मिली है। जबकि राज्य में असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल स्वीकृत पद 3732 हैं, जिनमें 2030 पद रिक्त है। इसके अलावा अतिरिक्त पदों की संख्या 4181है। नतीजतन यहाँ लगभग 900 की संख्या में घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति तात्कालिक व्यवस्था के रुप में पिछली सरकार द्वारा की गई थी। इसके बावजूद उच्च शिक्षा के क्षेत्र में छात्र – शिक्षक अनुपात संतुलित नहीं है।वर्तमान सरकार भी पिछले सरकार का अनुसरण करते हुए 1जनवरी,2021 को वैसा ही संकल्प पारित कर शोषणपूर्ण व्यवस्था में सहभागी बन चुकी है।सच तो ये है कि इस राज्य को उच्च शिक्षा का प्रयोगशाला बनाया जा रहा है। यूजीसी रेगुलेशन में कहीं भी घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक का नामोनिशान नहीं है। विगत तीन वर्षों से इस व्यवस्था का शिकार यहाँ की ऐसी युवा पीढ़ी होती आ रही है।ये पीएचडी /नेट/जेआरएफ/गोल्ड मेडलिस्ट होते हुए अपने कैरियर के लिए राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठे हैं।जिस राज्य में उच्च शिक्षा के शिक्षकों की ये हालत हो, जहाँ प्रतिभा और सरस्वती का सम्मान न हो तो उस राज्य के बारे में सहज कल्पना की जा सकती है। इतना ही नहीं, राज्य अपने लोककल्याणकारी भूमिका के क्षेत्र में भी विकलांगता की स्थिति में है। वर्तमान सरकार ने प्रतिपक्ष में रहते हुए हम सभी शिक्षकों से वादा किया था कि हमारी सरकार बनने पर अनुबंध कर्मियों को सम्मान की जिंदगी देंगे,समान कार्य समान वेतन मिलेगा,परंतु तीन वर्षों तक सेवा लेने के बाद 31 मार्च से अनुबंध कर्मी अस्सिसटेंट प्रोफेसर को ही हटाने के लिए 1जनवरी,2021को संकल्प पारित कर दिया गया।जिस राज्य में विद्वता का सम्मान न हो और उच्च शिक्षा के शिक्षकों को अपनी माँग मनवाने के लिए सडक़ पर उतरना पड़े तो वह लोकहित के लिए अशुभ संकेत है।
कोल्हान विश्वविद्यालय के डॉ०सिमोन सोरेन ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग के संकल्प संख्या-04/वि०-1-135/ 2016-01,दिनांक 01.01.2021 के कंडिका संख्या- 3 (ख) में कर्णांकित घंटी आधारित अनुबंध शिक्षकों के पुनर्चयन हेतु नये पैनल के गठन का निर्देश देने के अलावा इन शिक्षकों को हटाकर नये शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश देकर सरकार ने इनके प्रति कल्याणकारी भूमिका नहीं निभाई है, जबकि राज्य को हमेशा कल्याणकारी संस्था बनकर रहना चाहिए।राॅंची विश्वविद्यालय के डॉ०जनार्दन राम ने कहा कि मुख्यमंत्री महोदय नये संकल्प को अविलंब संशोधित करते हुए पूर्व के पैनल (02.03.2017)पर कार्यरत घंटी* *आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों का सम्मान करते हुए निश्चित मासिक मानदेय के साथ 65 वर्षों की आयु तक सेवा विस्तार करें। बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के डॉ०पप्पू रजक ने कहा कि ये हमारी नैसर्गिक व न्यायोचित मांग है। इन्हीं मांगों को लेकर 28 जनवरी से ही घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठे हैं।
राजभवन राँची के सामने सत्याग्रह आंदोलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के घंटी आधारित संविदा सहायक प्राध्यापक काफी संख्या में शामिल हुए जिनमें डॉ०प्रभाकर कुमार, डॉ० मोनीदीपा, डॉ०गीता, डॉ०व्यास कुमार, डॉ०कंचनगीरी, डॉ०रणेंद्र कुमार सिंह, डॉ०गोपीनाथ पांडेय,डॉ०शालीग्राम मिश्रा, डॉ०महावीर दास,डॉ०श्वेता रानी, डॉ०अंजना, डॉ०संतोष दयाल, डॉ०मीरा कुमारी, डॉ०हरेंद्र पंडित, कुमार,डॉ०सुमंत कुमार, डॉ०व्यास, डॉ०अन्नपूर्णा, डॉ०मीरा आदि उपस्थित रहे ।