गोस्सनर कॉलेज में लाल रणविजय नाथ शाहदेव की जयंती मनी
Ranchi : 5 फरवरी दिन शुक्रवार को गोस्सनर GBकॉलेज रांची में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग तथा मास कॉम विभाग की ओर से झारखंड आंदोलनकारी एवं नागपुरी साहित्यकार लाल रणविजय नाथ शाहदेव की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सिद्धार्थ एक्का एवं बर्सर डॉक्टर रायल डांग के द्वारा लाल रण विजय नाथ शाहदेव की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई ।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर सिद्धार्थ एक्का ने कहा कि लाल रणविजय नाथ शाहदेव की जीवनी से हमें प्रेरणा लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि उनकी लेखनी से आज की युवा पीढ़ी को सीख लेकर रचना करने की जरूरत है ।भाषा संस्कृति संरक्षण संवर्धन के लिए यह जरूरी है।मौके पर डॉ रॉयल डांग ने भी लाल रणविजय नाथ शाहदेव की जीवनी पर प्रकाश डाला, साथ ही उन्होंने उनके साथ अपने बिताए कुछ पलों को स्मरण भी किया । मौके पर नागपुरी विभाग के प्रोफ़ेसर डॉक्टर कोरनेलियुस मिंज ने लाल नाथ शाहदेव की जीवनी पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि क्रांतिकारी वीर रस के नागपुरी कवि लाल विजय नाथ शाहदेव की रचनाओं में काफी धार है। उन्होंने अपनी रचनाओं से झारखंड आंदोलन में जान फूंकने का काम किया ।कार्यक्रम का संचालन कुड़ुख विभाग के प्रोफेसर हेमंत टोप्पो ने किया। वहीं डॉ योताम कुल्लू ने धन्यवाद ज्ञापन किया। समारोह में फिलोसॉफी
विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार गुप्ता, मानव शास्त्र विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर मीना तिर्की, मास कॉम विभाग की हेड प्रोफेसर गोल्डन बिलुंग, प्रो पूजा उरांव, प्रो निवेदिता डांग, बांग्ला विभाग के प्रोफेसर ध्रुपद चौधुरी, मुंडारी विभाग की प्रोफ़ेसर मीना सुरीन, प्रोफेसर संतोष कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।
लाल रणविजय नाथ शाहदेव का संक्षिप्त परिचय -:
लाल रणविजय नाथ शाहदेव का जन्म 5 फरवरी 1940 को पालकोट के लालगंज गांव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम लक्ष्मी नाथ शाहदेव था। इनका संबंध नागवंशी राज परिवार से है। रणविजय नाथ शाहदेव ने 500 से अधिक नागपुरी गीत कविताओं की रचना की है । उनकी रचनाओं में लोगों के रोंगटे खड़े कर देने की ताकत है । उनकी रचनाओं में ठेठ नागपुरी शब्दों का विन्यास और संयोजन है, जो लोगों को आकर्षित करता है । वे मूलत वीर रस के कवि थे। वे अच्छे गायक भी थे। लाली रणविजय शाहदेवी की जागी जवानी चमकी बिजुरी पुस्तक में वीर और शृंगार रस की प्रधानताओं वाली रचनाएं मिलती है। वे कवि के साथ-साथ राजनीति में भी सक्रिय रहे। लाली रण विजय नाथ शाहदेव झारखंड पार्टी में 1957 ईः में मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा से प्रभावित होकर औपचारिक रूप से शामिल हुए थे। झारखंड अलग राज्य के संघर्ष में उन्होंने महती भूमिका निभाई थी। उन्होंने झारखंड नामकरण में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया था। उनका निधन 18 मार्च 2019 ईस्वी में हुआ।