अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर के अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन महामहिम के आश्वासन पर स्थगित : डॉ०झा
Ranchi : राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध असिस्टेंट प्रोफेसर अपनी माँगों को लेकर पन्द्रहवें दिन के उपरांत महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति महोदया के साकारात्मक आश्वासन पर स्थगित कर दी गई है।आज राजभवन में महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति महोदया ने झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ के प्रतिनिधि प्रदेश संरक्षक डॉ०एस०के०झा,डॉ०बिनोद एक्का एवं डॉ० अराधना तिवारी से वार्ता करते हुए कहा कि उच्च शिक्षा विभाग एवं सरकार से इस संदर्भ में पहल करने का साकारात्मक आश्वासन दी।
तदुपरांत झारखंड सहायक प्राध्यापक अनुबंध संघ की सदस्यों ने सत्याग्रह स्थल पर बैठक कर सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन को तत्काल स्थगित किया जाय। सरकार अगर हमारे मांग को 26 फरवरी,2021तक नहीं मानते हैं,तो विधानसभा सत्र के दौरान उग्र आन्दोलन किया जायेगा।विदित हो कि तीन वर्षों से कार्यरत 900अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को झारखंड सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने 1जनवरी,2021 को जो संकल्प पारित किया है,वो गठबंधन सरकार के चुनाव घोषणापत्र व अनुबंधकर्मियों को दिये गये आश्वासनों के ठीक विपरीत है। जिसके कारण ये सभी शिक्षक राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर विगत 15 दिनों से बैठे थे।वर्तमान सरकार ने प्रतिपक्ष में रहते हुए सभी शिक्षकों से वादा किया था कि अगर हमारी सरकार बनेगी तो अनुबंधकर्मियों को सम्मान की जिंदगी मिलेगी, समान कार्य समान वेतन मिलेगा,परंतु सम्मान और अधिकार देने के बजाय तीन वर्षों तक सेवा लेने के बाद 31 मार्च से अनुबंधकर्मी असिस्टेंट प्रोफेसरों को ही हटाने के लिए 1जनवरी,2021को संकल्प पारित कर दिया है।
बीबीएमकेयू के डॉ०बिनोद एक्का ने कहा कि मुख्यमंत्री महोदय नये संकल्प को अविलंब संशोधित करते हुए पूर्व के पैनल (02.03.2017)पर कार्यरत घंटी* *आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों का सम्मान करते हुए निश्चित मासिक मानदेय के साथ 65 वर्षों की आयु तक सेवा विस्तार करें,अन्यथा उग्र आन्दोलन करने पर बाध्य होंगे जिनकी पूर्ण जिम्मेदारी सरकार की होगी।डॉ०अराधना तिवारी ने कहा कि ये हमारी नैसर्गिक व न्यायोचित माँग है। इन्हीं माँगों को लेकर 28 जनवरी से ही घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठे थे।
राजभवन राँची के सामने सत्याग्रह आंदोलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के घंटी आधारित संविदा सहायक प्राध्यापक बड़ी संख्या में शामिल हुए जिनमें डॉ०सुनीता उरांव,डॉ०भवेश, डॉ०व्यास,डॉ०अरविंद प्रसाद, डॉ०एस०के०झा, डॉ० चंद्रकांत कमल, डॉ० सीमोन सोरेन, डॉ०चंद्रशेखर राय,डॉ०जहांगीर, डॉ०गोपीनाथ, डॉ०दीपक कुमार, डॉ०राजन,डॉ०लता, डॉ०सुमंत कुमार, डॉ०अन्नपूर्णा, डॉ०मीरा आदि उपस्थित रहे ।