बिहार में 7 जनवरी से शुरू हुई जातीय जनगणना को लेकर घमासान तेज होता जा रहा है. नीतीश कुमार सरकार के इस फैसले के विरोध में एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. जिसे सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार कर लिया है.
इस मामले में अब 13 जनवरी को सुनवाई होगी. इसमें आरोप लगाया गया है कि जातिगत जनगणना संबंधी जारी अधिसूचना भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक है. ये संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है.
जानकारी के मुताबिक, नालंदा के रहने वाले अखिलेश कुमार इसमें याचिकाकर्ता हैं. उनकी ओर से अधिवक्ता बरुण कुमार सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की. इसमें उन्होंने बिहार में जारी जातीय जनगणना को रद्द करने की मांग उठाई है. साथ ही इस पर आगे बढ़ने से रोकने की भी अपील की गई है. इस याचिका में आरोप लगाया गया कि बिहार सरकार ने 6 जून, 2022 को जातीय जनगणना को लेकर जो अधिसूचना जारी की वो अतार्किक और असंवैधानिक है. ये नोटिफिकेशन संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन करती है
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