झारखंड के वरिष्ठ नेता और विधायक लोबिन हेंब्रम अपने बागी तेवर से कई बार दिखा चुके हैं. गाहे – बगहे लोबिन हेमंत सरकार के खिलाफ अपनी नाराज़गी जाहिर करते रहे हैं. पार्टी कई बार उनके बागी तेवर की वजह से असहज हुई है.
लेकिन इस बार उन्होंने पारसनाथ पहाड़ी के मुद्दे पर आदिवासियों की विशाल रैली आयोजित कर जिस तरह सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर हमला बोला, वह झारखंड में आने वाले दिनों की राजनीति के लिए एक बड़ा संकेतक हो सकता है.
लोबिन की गतिविधियों पर उनकी इस चुप्पी के पीछे खास रणनीतिक वजह रही हो. लेकिन इस बार लोबिन हेंब्रम ने पारसनाथ पहाड़ी के मुद्दे को जिस तरह आदिवासियों के धर्म, उनके हक और पहचान के सवाल से जोड़ दिया है, वह झामुमो के परंपरागत राजनीतिक समीकरण को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है. लोबिन हेंब्रम ने 10 जनवरी को पारसनाथ में सरकार के खिलाफ आदिवासियों के प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए जिस तरह के तेवर दिखाए और जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया, उसकी क्लिंपिंग का इस्तेमाल कर अब भाजपा के नेता भी सोशल मीडिया पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहे हैं.
लोबिन हेंब्रम ने हेमंत सोरेन पर बिहारी सलाहकारों से घिरे होने का आरोप लगाया और कहा कि ये लोग आदिवासी विरोधी हैं. उन्होंने सीएम के प्रेस सलाहकार अभिषेक पिंटू, जेल में बंद उनके राजनीतिक प्रतिनिधि पंकज मिश्र, सलाहकार सुनील श्रीवास्तव, सुप्रियो भट्टाचार्य का जिक्र करते हुए यहां तक कह दिया कि मन करता है कि इन्हें दस लात मारें. भाजपा के कई नेताओं ने लोबिन के भाषण की इस क्लिपिंग को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए सीएम पर तंज किया है. ऐसे में एक सवाल जो उठ रहा है वो ये की क्या लोबिन झारखंड में नई राजनीतिक जमीन की तलाश कर रहे हैं ? और हां तो jmm और शिबू सोरेन के प्रति उनकी वफादारी का क्या होगा ?